Ped Ki Atmakatha in Hindi | पेड़ की आत्मकथा पर निबंध:
इतर जानकारी : (Ped Ki Atmakatha In Hindi)
नमस्कार दोस्तों, आज Smart School Infolips पे हम पढ़ेंगे एक निबंध, “पेड़ की आत्मकथा” (Ped Ki Atmakatha – Essay In Hindi) | निबंध लिखते समय शुरुआत, मुख्य भाग और अंत, इस तरह तीन हिस्सों में विभाजित कीजिए । अपने निबंध का प्रभाव बढ़ाने केलिए रूपक या अलंकारिक शब्द, और मुहावरोंका का प्रयोग करें। ये आप सभी विद्यार्थीओं के लिए उपयोगी हो सकता है|
इसी विषय पर अलग-अलग शब्दों का प्रयोग करके, निबंध लिखने दिया जाता है | जैसे की : (Ped Ki Atmakatha In Hindi)
पेड़ की आत्मकथा हिंदी निबंध (Ped ki atmakatha nibandh in Hindia),
एक पेड़ की आत्मकथा (Ek Ped Ki Atmakatha In Hindi).
आम के पेड़ की आत्मकथा (Aam ke Ped Ki Atmakatha In Hindi).
बरगद के पेड़ की आत्मकथा हिंदी निबंध. (Autobiography of tree)
आत्मकथा पेड़ की – हिंदी निबंध. (Ped Ki Atmakatha In Hindi Nibandh)
पेड़ की आत्मकथा पर निबंध (१००+ शब्द में):
मै एक पेड़ हूँ, मैं प्रकृति के द्वारा दिया गया एक अनमोल तोफा हूँ | मैं प्रकृति में सबसे अधिक महत्व रखता हूं | प्राकृतिक घटनाएं भी मुझसे जुड़ी होती हैं, जैसे की बारिश, हवामान, वायु प्रदूषण।
मैं पंक्षियों को घर एवं मनुष्यों और अन्य जीवों को छाया प्रदान करता हूँ | जब सुबह सुबह पंछी मेरी डाल पर बैठकर चहचहाते हैं या फिर लोग मेरे फल खाने के लिए तोड़ते हैं तो मुझे बहुत प्रसन्नता होती है।
इतना कुछ देने के बाद भी जब मनुष्य हमें काटने का प्रयास करते है| वो पल मेरे जीवन का सबसे दुःख भरा पल होता है जब मैं अपने आसपास के पेड़ों को कटते देखता हूं। मैं चाहता हूं कि मनुष्य हम पेड़ों को अपने स्वार्थ के लिए काटना बंद करें और हमारा महत्व समझे|
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पेड़ की आत्मकथा पर निबंध (२००+ शब्द में):
Ped Ki Atmakatha In Hindi
मै एक पेड़ हूँ, मैं प्रकृति के द्वारा दिया गया एक अनमोल तोफा हूँ | मुज़पर सभी जीवों का जीवन निर्भर रहता है। मैं प्रकृति में सबसे अधिक महत्व रखता हूं | प्राकृतिक घटनाएं भी मुझसे जुड़ी होती हैं, जैसे की बारिश, हवामान, वायु प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग का संबंध भी मुझसे है।
मुझमें पर्णहरित (chlorophyll) नामक पदार्थ होता है, जिसकी मदत से मै कार्बन डाइऑक्साइड और सुरजकी रोशनीसे खाना बनता हूँ | खाने को मै पहले फूल और बादमे फल में तबदील करता हूँ | मैं भी अब और पेड़ो की तरह पंक्षियों को घर एवं मनुष्यों और अन्य जीवों को छाया प्रदान करने हेतु समर्थ हो गया हूँ |
जब सुबह सुबह पंछी मेरी डाल पर बैठकर चहचहाते हैं या फिर लोग मेरे फल खाने के लिए तोड़ते हैं तो मुझे यह देख कर बहुत प्रसन्नता होती है। मुझे उस वक्त भी उतनी प्रसन्नता होती है जब कोई मेरी शाखाओं की छाया का आनंद लेता है।
इतना कुछ देने के बाद भी जब मनुष्य हमें काटने का प्रयास करते हैं तब मुझे यह देख कर बड़ा दुख होता है। वो पल मेरे जीवन का सबसे दुःख भरा पल होता है जब मैं अपने आसपास के पेड़ों को कटते देखता हूं। मैं चाहता हूं कि मनुष्य हम पेड़ों को अपने स्वार्थ के लिए काटना बंद करें और हमारे महत्व को समझे|
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पेड़ की आत्मकथा पर निबंध (३००+ शब्द में):
Ped Ki Atmakatha In Hindi
मै एक पेड़ हूँ, मैं प्रकृति के द्वारा दिया गया एक अनमोल तोफा हूँ | मुज़पर सभी जीवों का जीवन निर्भर रहता है। मैं प्रकृति में सबसे अधिक महत्व रखता हूं | प्राकृतिक घटनाएं भी मुझसे जुड़ी होती हैं, जैसे की बारिश, हवामान | बारिश ज्यादा हो या कम, सूखा पड़े या बाढ़ आए और यहां तक कि वायु प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग का संबंध भी मुझसे है।
जब मै छोटा था, तब मुझे ये सारी जानकारी नहीं थी। अतः मेरे मन को एक ही बात का डर लगा रहता था कि कोई मुझे काट ना दे या फिर कुचल न दे। इस डर से मै हमेशा सहमा-सहमा रहता था। मेरे मन में यही विचार सताता कि मै, इतर वृक्षोंकी तरह कब बड़ा हो जाऊंगा | कब मेरी शाखाएँ दूरतक फैलेंगी, विशाल विशाल हो जाएँगी । मेरी हरी-भरी पत्तोंसे लदी इन शाखाओंपर पंछी अपना घोंसला बनाएंगे | पर जैसे-जैसे मैं बड़ा होते गया, मैं प्रकृति को समझता गया | संसार के नियम अवगत होते गए, मेरा यह डर धीरे-धीरे खत्म होता गया। और आज मै एक विशाल, मजबूत और विस्तृत पेड़ बन गया हूँ |
मुझमें पर्णहरित (chlorophyll) नामक पदार्थ होता है, जिसकी मदत से मै कार्बन डाइऑक्साइड और सुरजकी रोशनीसे खाना बनता हूँ | मेरे इसी खाना बनाने की प्रक्रियाको मनुष्योंने ‘प्रकाश संश्लेषण क्रिया’ नाम दिया है। मेरा बड़ा अकार और विशाल शाखाओंकी वजहसे मै, ज्यादा खाना बनता हूँ | यही अधिकतम खाने को मै पहले फूल और बादमे फल में तबदील करता हूँ | मैं भी अब और पेड़ो की तरह पंक्षियों को घर एवं मनुष्यों और अन्य जीवों को छाया प्रदान करने हेतु समर्थ हो गया हूँ |
जब सुबह सुबह पंछी मेरी डाल पर बैठकर चहचहाते हैं या फिर लोग मेरे फल खाने के लिए तोड़ते हैं तो मुझे यह देख कर बहुत प्रसन्नता होती है और उस वक्त मैं अपने आप पर गर्व करता हूँ। मुझे उस वक्त भी उतनी प्रसन्नता होती है जब कोई मेरी शाखाओं की छाया का आनंद लेता है।
इतना कुछ देने के बाद भी जब मनुष्य हमें काटने का प्रयास करते हैं तब मुझे यह देख कर बड़ा दुख होता है। वो पल मेरे जीवन का सबसे दुःख भरा पल होता है जब मैं अपने आसपास के पेड़ों को कटते देखता हूं। मैं चाहता हूं कि मनुष्य हम पेड़ों को अपने स्वार्थ के लिए काटना बंद करें और हमारे महत्व को समझे।
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पेड़ की आत्मकथा पर निबंध (५००+ शब्द में):
Ped Ki Atmakatha In Hindi
मैं एक हरा भरा पेड़ हूँ। आप सभी जानते हो की पेड़ो के बिना प्राणियों का जीना मुश्किल है। पेड़ अन्य प्राणियोंको फल देते है, ऑक्सीजन पहुंचाते हूँ, जिसके वजहसे सारे संसारके जीव जंतु और मनुष्य भी जी रहें है | लोग गर्मियों के समय मेरे छाँव के नीचे बैठकर, अपनी थकान को दूर करते है | मेरे लहलहाते पत्तोसे जाने वाली हवासे मनुष्य को रहत मिलती है। मुझसेही मनुष्य को फल, फूल, छाया, लकड़ी और औषधि मिलती है | मै प्रकृति को और पर्यावरण को संतुलित रखमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हूँ। पर मुझे हमेशा यह डर लगा रहता है कि कोई मुझे काट ना दे। पशु मुझे खा न जाए | पंछी मेरे पत्तोंको तोड़ न दे | लेकिन अब मै बड़ा हो चूका हूँ, एक पौधा से विशाल पेड़ बन चूका हूँ | अब मुझे यह डर नहीं सताता |
मेरे शरीर के हर-एक अंगसे मनुष्य को लाभ पहुंचाते है। फिर भी इन्सन मुझे काटता रहता है | जिस तरहसे मनुष्य वृक्षों को काटा जा रहा है, मुझे भी कटने का डर लगा रहता है। अगर इसी तरह सारे वृक्ष काटते गए, तो वह दिन दूर नहीं जब पर्यावरण का संतुलन बिगड़ जाएगा। मैं हूँ तो वर्षा है, हमें काटने से प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग की समस्याएं और बढ़ जाएगी | पशु और मनुष्य, गर्मियों में जल की एक बून्द के लिए तरसते रह जायेंगे |
ईश्वर ने मुझे प्रकृति और सभी प्राणियों के कल्याण और सेवा हेतु धरतीपर भेजा है। मैं इस संसार को मिला हुआ एक अनमोल उपहार हूँ | लेकिन फिर भी मनुष्य को इसकी जराभी कदर नहीं है।
मैं वायु में मौजूद गैस जैसे कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर लेता हूँ। मैं अपना खाना खुद बना सकता हूँ। इसके लिए मुझे औरो पर निर्भर रहने की ज़रूरत नहीं है। सूरज की किरणों की ज़रूरत मुझे हमेशा रहती है।
प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में सूरज की किरणे , जल और कार्बन डाइऑक्साइड की मदतसे मै अपना खाना बनता हूँ | इसी प्रक्रियामे मैं ऑक्सीजन गैस का निर्माण करता हूँ। ऑक्सीजन के कारण सभी प्राणी पृथ्वी पर साँस लेते है। मैं इतना विशाल हो गया हूँ कि पक्षियां मेरे शाखाओं में घोंसले बनाने लगे है। मेरे फल और फूल सभी के काम आते है। मुझे बहुत ख़ुशी होती है, जब मै लोगो के काम आता हूँ। मनुष्य मेरी छाँव में बैठकर थकान दूर करते है। मुझे यह सोचकर इतना आश्चर्य होता है कि हम पेड़ इतना कुछ मनुष्य को प्रदान करते है फिर भी वह हमेशा हम पेड़ो को काटने की कोशिश क्यूँ करता रहता है |
मैं ऋतुओं के अनुरूप खुदको ढाल लेता हूँ। मुझे वर्षा, बसंत, गर्मी और सर्दी सभी ऋतुओं की पहचान हो गयी है। मैंने कई विपत्तियों और मुसीबतों का सामना किया है। कभी तूफ़ान की तेज़ हवा, कभी तेज़ सूरज की तीखी किरणे, तो कभी कड़ाके की ठंड| इंसान को जब ज़रूरत होती है वह मेरे शाखाओं को थोड़ लेते है। इन सभी के कारण आज मैं निडर होकर किसी भी तकलिप को सहन कर सकता हूँ।
कई जगहों पर, वृक्ष-रोपण के नामसे, लाखो पौधे लगाए जाते है | लेकिन क्या वे सारे जिन्दा रहते है, क्या उनकी सही से देखभाल होती है | १०% से भी काम संख्या में पौधे बिना पानी की वजहसे मर जाते है | लोगो को सचेत होने की आवश्यकता है कि वे हमे काटकर कितनी बड़ी गलती कर रहे है। अपने ऊपर कितना बड़ा संकट खिंच रहें है |
मुझे बहुत दुख होता है जब मैं अपने आस पास, किसी पेड़ को कटते देखता हूँ। पेड़ो को काटने से हर-दिन कोई नई प्राकृतिक आपदाएं आती रहती है। मनुष्य को अब समझ जाना चाहिए | अगर हम पेड़ ही ज़िंदा नही रहे तो वह खुद भी जीवित नहीं रहेंगे। प्रकृति और पर्यावरण का संतुलन बनाये रखने में हम पेड़ बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। इसीलिए पेड़ न कांटे, बल्कि जादासे ज्यादा पेड़ लगाए, और उन्हें बड़ा होने तक देखभाल करें |
(Ped Ki Atmakatha In Hindi)
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