Man 10th Hindi Poem
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Man 10th Hindi Poem | 4. कविता का स्पष्टीकरण – आसान भाषा में – Best Info

Man 10th Hindi Poem | मन कविता का भावार्थ Class 10 – आसान भाषा में – Maharashtra Board

Man Kavita 10th class Bhavarth:

  • घना अँधेरा, चमकता प्रकाश, और अधिक ।
    इस पंक्ति में कवि अंधकार और प्रकाश के बीच अंतर को दर्शाता है। जब चारों ओर गहरा अंधकार हो तो प्रकाश की छोटीसी किरणें भी अधिक उजली और महत्वपूर्ण प्रतीत होती हैं। यह जीवन में आशा का प्रतीक हो सकता है।

  • करते जाओ, पाने की मत सोचो, जीवन सारा ।
    यह पंक्ति हमें कर्म योगी भाव से जीने का संदेश देती है। यह सुझाव देता है कि व्यक्ति को अपना कर्तव्य निष्ठापूर्वक करते रहना चाहिए, लेकिन यह सोचे बिना कि इससे क्या होगा या किसी फल की आशा नहीं करनी चाहिए।

  • जीवन नैया, मँझधार में डोले, सँभाले कौन ?
    यहां जीवन की तुलना उस नाव से की गई है, जो नदी की धारा (मंझधार) के बीच में बह रही है। यह रेखा जीवन में अप्रत्याशित संकटों या अनिश्चितताओं के सामने असहायता और निराशा को दर्शाती है।

  • रंग-बिरंगे, रंग-संग लेकर, आया फागुन ।
    यह पंक्ति फागुन माह (वसंत ऋतु) का वर्णन करती है। फागुन का महीना अपने साथ प्रकृति के विभिन्न रंग और नई उमंग लेकर आता है, जो जीवन में आनंद और ताजगी लाता है।

  • काँ‍टों के बीच, खिलखिलाता फूल, देता प्रेरणा ।
    इस पंक्ति के माध्यम से कवि ने विपरीत परिस्थितियों में भी खुशी से जीने की प्रेरणा दी है। जिस तरह एक फूल कांटों के बावजूद मुस्कुराता रहता है, उसी तरह हमें भी जीवन की कठिनाइयों का सामना करते हुए सकारात्मक रहकर दूसरों को प्रेरित करना चाहिए।

  • भीतरी कुंठा, आँखों के द्वार से, आई बाहर ।
    यहाँ कवि ने कहा है कि मन में छिपी हुई गहरी निराशा (कुंठा) या उदासी अंततः आँखों में आँसू के रूप में बाहर आती है। यह मन की भावनाओं को व्यक्त करने का एक प्राकृतिक तरीका है।

  • खारे जल से, धुल गए विषाद, मन पावन ।
    इस पंक्ति का अर्थ यह है कि आंसू (नमकीन पानी) से मन का दुःख और दुख (खेड़ा) धुल जाता है और मन शुद्ध हो जाता है। इससे पता चलता है कि रोने से मन को राहत मिलती है और नकारात्मक भावनाएं खत्म हो जाती हैं।

  • मृत्यु को जीना, जीवन विष पीना, है जिजीविषा ।
    यह एक गहरी पंक्ति है. जिजीविषा जीने की दृढ़ इच्छा है। कवि कहते हैं कि मृत्यु को स्वीकार करना और जीवन के दर्द (ज़हर) को स्वीकार करना ही जीने की असली इच्छा है। जीवन की कड़वी सच्चाइयों को स्वीकार कर आगे बढ़ना ही सच्चा जीवन है।

  • मन की पीड़ा, छाई बन बादल, बरसीं आँखें ।
    यह हाइकु दिल के दर्द को बादलों में और आंसुओं को बारिश में बदलने का वर्णन करता है। अर्थात् मन में दुःख इतना बढ़ गया कि वह बादलों की तरह घना हो गया और आँखों से आँसुओं की धाराएँ बहने लगीं।

  • चलतीं साथ, पटरियाँ रेल की, फिर भी मौन ।
    दो रेलवे पटरियों की तरह, कुछ चीजें या व्यक्ति, हालांकि वे एक साथ हैं, संवाद नहीं करते हैं या एक दूसरे से स्वतंत्र हैं। यह रिश्तों में दरार या अकेलेपन का संकेत दे सकता है।

  • सितारे छिपे, बादलों की ओट में, सूना आकाश ।
    जब तारे बादलों के पीछे छिप जाते हैं तो आकाश खाली और उदास महसूस होता है। यह किसी प्रियजन की अनुपस्थिति के कारण जीवन में अनिश्चितता, निराशा या अकेलेपन का प्रतिनिधित्व कर सकता है।

  • तुमने दिए, जिन गीतों को स्‍वर, हुए अमर ।
    इस पंक्ति में कवि किसी को धन्यवाद देता है, जिसके योगदान (स्वरा) ने गीतों को अमर बना दिया। इसका मतलब यह है कि कोई भी कार्य या कलाकृति किसी के योगदान या समर्थन के कारण शाश्वत है।

  • सागर में भी, रहकर मछली, प्यासी ही रही ।
    यह पंक्ति एक विरोधाभास का उदाहरण है. ढेर सारे संसाधन या अवसर होने के बावजूद भी व्यक्ति अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा नहीं कर पाता या अपनी वास्तविक प्यास को संतुष्ट नहीं कर पाता। यह आध्यात्मिक या शारीरिक अपूर्णता का संकेत दे सकता है।

Let’s check the question answer of Man 10th Hindi Poem. Man kavita hindi 10th class.


सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए : –

(१) उचित जोड़ियाँ मिलाइए :

अ ——————— आ
मछली ————— मौन
गीतों के स्‍वर ———– सूना
रेल की पटरियाँ ——- प्यासी
आकाश ————— अमर
———————– पीड़ा

उत्तर :

  • मछली – प्यासी
  • गीतों के स्‍वर – अमर
  • रेल की पटररयाँ – मौन
  • आकाश – सूना

(२) परिणाम लिखिए :
१. सितारों का छिपना –
२. तुम्‍हारा गीतों को स्‍वर देना –

  • १. सितारों का छिपना – सूना आकाश
  • २. तुम्‍हारा गीतों को स्‍वर देना – अमर हुए

(३) सरल अर्थ लिखिए:

    • मन की पीड़ा छाई बन बादल बरसीं आँखें ।
      अर्थ: मन में दुःख इतना बढ़ गया कि बादल जैसा घना हो गया और आँखों से आँसू गिरने लगे।

    सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

    (१) लिखिए :

    निम्नलिखित हाइकु द्‌वारा मिलने वाला संदेश

    • करते जाओ पाने की मत सोचो जीिन सारा ।
      संदेश: माणसाने आयुष्यभर आपले कर्म करत राहावे आणि फळाची अपेक्षा करू नये. भगवद्गीतेतील ‘कर्म करा, फळाची अपेक्षा करू नका’ या तत्वाशी हे सुसंगत आहे.

    • भीतरी कुंठा, आँखों के द्वार से, आई बाहर ।
      संदेश: मनातील खोलवर साचलेली निराशा (कुंठा) किंवा वेदना शेवटी डोळ्यातून अश्रूंच्या रूपात बाहेर पडते. हे आंतरिक दु:ख व्यक्त होण्याचे एक स्वाभाविक माध्यम आहे.

    (२) कृति पूर्ण कीजिए :

    • हाइकु में प्रयुक्‍त महीना और उसकी ॠतु
      महीना – फागुन, ऋतु – वसंत

    (३) उत्‍तर लिखिए :

    • १. मँझधार में डोले – जीवन नैया
    • २. छिपे हुए – सितारे
    • ३. धुल गए – विषाद (इसका अर्थ यह है कि दुख दूर हो जाता है और मन शुद्ध हो जाता है।)
    • ४. अमर हुए – गीतों को स्वर

    ४. निम्‍नलिखित काव्य पंक्‍तियों का केंद्रीय भाव स्‍पष्‍ट कीजिए :

    • १. चलतीं साथ पटरियाँ रेल की फिर भी मौन ।
      (भावार्थ): दो रेलवे पटरियों की तरह, कुछ चीजें या व्यक्ति, हालांकि वे एक साथ हैं, संवाद नहीं करते हैं या एक दूसरे से स्वतंत्र हैं। यह रिश्तों में दरार या अकेलेपन का संकेत दे सकता है।

    Man 10th Hindi Poem Man

    • २. काँ‍टों के बीच खिलखिलाता फूल देता प्रेरणा ।
      (भावार्थ): कांटों जैसी विपरीत एवं कठिन परिस्थितियों में भी खिलने वाला फूल प्रसन्नता एवं आशावाद का प्रतीक है। यह हमें बताता है कि चाहे हमें कितनी भी कठिनाइयों का सामना करना पड़े, हमें खुशी और उत्साह के साथ रहना चाहिए और दूसरों के लिए प्रेरणा बनना चाहिए।

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