Prakruti Aur Manushya Mitra Hai
निबंध/ Essay/Nibandh

Prakruti Aur Manushya Mitra Hai Hindi Essay | प्रकृति और मनुष्य मित्र है निबंध

Prakruti Aur Manushya Mitra Hai Hindi Essay | प्रकृति और मनुष्य मित्र है निबंध :

इतर जानकारी :

नमस्कार दोस्तों, आज Smart School Infolips आपके लिए लाया है और एक निबंध का विषय “प्रकृति और मनुष्य मित्र है” (Prakruti Manushya Ki Mitra Essay In Hindi)| निबंध लिखते समय शुरुआत, मुख्य भाग और अंत, इस तरह तीन हिस्सों में विभाजित कीजिए । अपने निबंध का प्रभाव बढ़ाने केलिए रूपक और अभिव्यंजक रूपकों का प्रयोग करें। मनुष्य तथा प्रकृति के सम्बन्ध पर आधारित यह हिंदी निबंध कक्षा १ से १० तर के सभी विद्यार्थीओं के लिए उपयोगी होगा|

इसी विषय को अलग-अलग शब्दों में देकर निबंध लिखने दिया जाता है | जैसे की :
प्रकृति और मनुष्य पर निबंध, (Prakruti Aur Manushya Par Nibandh)
प्रकृति और मानव संबंध, (Prakruti Aur Manav Sambandh Par Nibandh)
Essay on Nature in Hindi (Prakriti Par Nibandh)
प्रकृति मनुष्य की मित्र है निबंध (Prakruti Manushya Ki Mitra hai)
प्रकृति और मानव पर निबंध Prakriti aur manav essay in hindi –
Essay on Nature in Hindi | प्रकृति पर निबंध
प्रकृति का हमारे जीवन में क्या महत्व है? प्रकृति से मनुष्य को क्या क्या लाभ होते हैं,
प्रकृती हमारी मित्र हैं इस विषय पर अपने विचार (Prakruti Aur Manushya Mitra Hai),
मनुष्य का प्रकृति पर प्रभाव, प्रकृति और मानव संबंध ४० से ५० शब्दों में अपने विचार स्पष्ट कीजिए।
प्रकृति और मानव पर निबंध 100 शब्द, प्रकृति की रक्षा मानव की सुरक्षा पर निबंध

प्रकृति और मनुष्य मित्र है निबंध पर निबंध (१०० शब्द में):

हर मनुष्य का, उसके जन्म के साथ ही प्रकृति से नाता जुड़ जाता हैं| मनुष्य आजीवन प्रकृति पर निर्भर रहता हैं| उसे सारी चीजें प्रकृतिसेही मिलती है|

मनुष्य ने प्रकृतिसे सब कुछ लिया है, बहोत कुछ सीखा है, लेकिन यह सीखना भूल गया | प्रकृति अपनी चीजों का उपभोग स्वयं नहीं करती है। जैसे नदी अपना जल स्वयं नहीं पीती, पेड़ अपने फल खुद नहीं खाते, फूल अपनी खुशबू खुदपर नहीं लुटाता।

प्रकृति हर वक्त सभी जिओंको देती रहती है, किसी के साथ पक्षपात नहीं करती| यह मनुष्य ही जो प्रकृति से अनावश्यक छेड़खानी करता रहता है| इन सबका गुस्सा वह रूद्र रूप लेकर दिखती है| कभी सुनामी, कभी बाढ़, सैलाब, कहिपे तूफान तो कही पे सूखा, अकाल देकर हमें सचेत कराती है। मेरा अस्तित्व अभी मौजूद है |

(Prakruti Aur Manushya Mitra Hai)

| Related : Essay on Newspaper in Hindi | समाचार पत्र पर हिंदी निबंध (Read more)

प्रकृति और मनुष्य मित्र है निबंध पर निबंध (२०० शब्द में):

हर मनुष्य का, उसके जन्म के साथ ही प्रकृति से नाता जुड़ जाता हैं| मनुष्य आजीवन प्रकृति पर निर्भर रहता हैं| क्यूंकि बहुत सारी चीजें प्रकृतिसेही लेता है | उनके हर क्रियाकलाप प्रकृति के साथ ही होते हैं, इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती|

मनुष्य ने समय के साथ बदल कर, स्वयं को भी परिवर्तित किया है | उसने खुद को साधन सम्पन्न बनाया है | एक वक्त ऐसा था जब मनुष्य और जानवर एकसमान थे| मनुष्यने अपनी आवशक्यता नुसार, प्रकृतिका सही उपयोग कर, खुद को बलशाली बनाया है |

पृथ्वी पर हरेक तत्व, छोटे जीव हो या बड़े पेड़ पौधे, सबका का सामान महत्व हैं| कीड़े-मकोड़े से लेकर प्रत्येक जिव जन्तुओका अपना-अपना योगदान है | इन सबसे ही मिलकर प्राकृति का संतुलन बना रहता है | प्राणियों के जीवित रहने के लिए शुद्ध हवा तथा जल की जरुरत होती है | उसी प्रकार वनस्पतियों तथा जीव जन्तुओं का होना उतनाही जरुरी हैं|

शाकाहारी जीव पेड़ तथा पौधों पर निर्भर होते है और मांसाहारी जीव शाकाहारी प्राणियों पर | इसीप्रकार के जीवन चक्र से प्राकृतिक संतुलन बना रहता है | इसीलिए हम यह कह सकते है की, प्रकृति मनुष्य की मित्र है, प्रकृति और मनुष्य एक दूसरे के पूरक है| प्रकृति को इंसानकी जरुरत नहीं पर इंसान को प्रकृति की जरुरत है | इंसान के जीवन केलिए प्रकृतिका जीवित रहना बहुत महत्व पूर्ण है |

(Prakruti Aur Manushya Mitra Hai)

| Related : Mi Mukhyadhyapak Zalo Tar Essay In Marathi | मी मुख्याध्यापक झालो तर… (Read More)

प्रकृति और मनुष्य मित्र है निबंध पर निबंध (३०० शब्द में):

हर मनुष्य का, उसके जन्म के साथ ही प्रकृति से नाता जुड़ जाता हैं| मनुष्य आजीवन प्रकृति पर निर्भर रहता हैं| क्यूंकि बहुत सारी चीजें प्रकृतिसेही लेता है | उनके हर क्रियाकलाप प्रकृति के साथ ही होते हैं, इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती|


आज मनुष्य ने समय के बदलाव के साथ, स्वयं को भी परिवर्तित किया है | उसने खुद को साधन सम्पन्न बनाया है | एक वक्त ऐसा था जब मनुष्य और जानवर एकसमान थे| लेकिन मनुष्य ने प्रकृति की सहायता से स्वयं को प्रगतशील बनाया हैं| मनुष्यने अपनी आवशक्यता नुसार, प्रकृतिका सही उपयोग किया है| मूल रूपसे प्रकृतिही मानव का पोषण करती हैं|


पृथ्वी पर हरेक तत्व, छोटे जीव हो या बड़े पेड़ पौधे, सबका का सामान महत्व हैं| कीड़े-मकोड़े से लेकर प्रत्येक जिव जन्तुओका अपना-अपना योगदान है | इन सबसे ही मिलकर प्राकृति का संतुलन बना रहता है | प्राणियों के जीवित रहने के लिए शुद्ध हवा तथा जल की जरुरत होती है | उसी प्रकार वनस्पतियों तथा जीव जन्तुओं का होना उतनाही जरुरी हैं|

.

मनुष्य ने अपने स्वार्थ के चलते प्रकृति का हदसे ज्यादा फायदा उठा रहा है | प्रकृति की सुंदरता को समाप्त करने पर तुला है | प्रकृतिको ही अपनी इस्छा नुसार बदलने चला है | पृथ्वी पर सभी सजीव प्राणियों का भोजन का प्राथमिक जरिया एक मात्र पेड़ और पौधे ही है | इसी भोजन पर बाकि सभी शाकाहारी प्राणी निर्भर रहते हैं|
शाकाहारी जीव पेड़ तथा पौधों पर निर्भर होते है और मांसाहारी जीव इन शाकाहारी प्राणियों पर | इसीप्रकार के जीवन चक्र से प्राकृतिक संतुलन बना रहता है | इंसान अब इतना स्वार्थी हो गया है, की ये सारी सम्पति मुफ्त में पाने के उपरांत, प्रकृति को धोका दे रहा है | प्रकृके खिलाप जाकर अपनी इच्छाओं की पूर्ति करना चाहता है|


प्रकृति मनुष्य की मित्र है, प्रकृति और मनुष्य एक दूसरे के पूरक है| प्रकृति को इंसानकी जरुरत नहीं पर इंसान को प्रकृति की जरुरत है | इंसान के जीवन केलिए प्रकृतिका जीवित रहना बहुत महत्व पूर्ण है |

(Prakruti Aur Manushya Mitra Hai)

| Related: Kisan Ki Atmakatha in Hindi | किसान की आत्मकथा पर निबंध (Read More)

प्रकृति और मनुष्य मित्र है निबंध पर निबंध (४०० शब्द में):

हर मनुष्य का, उसके जन्म के साथ ही प्रकृति से नाता जुड़ जाता हैं| मनुष्य आजीवन प्रकृति पर निर्भर रहता हैं| क्यूंकि बहुत सारी चीजें प्रकृतिसेही लेता है | उनके हर क्रियाकलाप प्रकृति के साथ ही होते हैं, इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती|

आज मनुष्य ने समय के बदलाव के साथ-साथ, स्वयं को भी परिवर्तित किया है | उसने खुद को साधन सम्पन्न बनाने की कोशिश जरूर की हैं| एक वक्त ऐसा था जब मनुष्य और जानवर एकसमान थे| दोनोकी जीवन शैली सामना थी| लेकिन मनुष्य ने प्रकृति की सहायता से स्वयं को प्रगतशील और आधुनिक बनाया हैं| प्रकृति संसारके हर जीव के लिए एक जैसे मदद करती रहती है| पर मनुष्यने अपनी आवशक्यता नुसार, प्रकृतिका सही उपयोग किया है| मूल रूपसे प्रकृतिही मानव का पोषण करती आई हैं और आगे भी करती रहेगी |

कुदरतसे इस ग्रह पर पर्यावरण मौजूद है, जिसके कारन यह एक, सुन्दर पृथ्वी बन गई है | यहाँका हरेक तत्व, छोटे-छोटे जीव-जन्तु हो या बड़े-बड़े पहाड़, पेड़ पौधे, सबका का सामान महत्व हैं| कीड़े-मकोड़े से लेकर प्रत्येक जिव जन्तुओका अपना-अपना महत्वपूर्ण योगदान है | इन सबसे ही मिलकर प्राकृति का संतुलन बना रहता है | प्राणियों के जीवित रहने के लिए शुद्ध हवा तथा जल की जरुरत होती है | उसी प्रकार वनस्पतियों तथा जीव जन्तुओं का होना उतनाही जरुरी हैं|

.

मनुष्य ने अपने स्वार्थ के चलते प्रकृति का हदसे ज्यादा फायदा उठा रहा है | प्रकृति की सुंदरता को समाप्त करने पर तुला है | प्रकृतिको ही अपनी इस्छा नुसार बदलने चला है | पृथ्वी पर सभी सजीव प्राणियों का भोजन का प्राथमिक जरिया एक मात्र पेड़ और पौधे ही है | सभी को प्राथमिक स्तर पर इन्हींपे निर्भर रहना पड़ता है | सूर्य की किरणों के माध्यम से पेड़ पौधे अपना भोजन बनाते है, और इसी भोजन पर बाकि सभी शाकाहारी प्राणी निर्भर रहते हैं|

यह एक जीवन चक्र बन जाता है | शाकाहारी जीव पेड़ तथा पौधों पर निर्भर होते है और मांसाहारी जीव इन शाकाहारी प्राणियों पर | इसीप्रकार के जीवन चक्र से प्राकृतिक संतुलन बना रहता है | प्रकृति के संतुलन को बनाने में पेड़ पौधों की प्राथमिक भूमिका निभाते है | लेकिन इंसान अब इतना स्वार्थी प्राणी हो गया है, की ये सारी सम्पति मुफ्त में पाने के उपरांत, प्रकृति को धोका दे रहा है | प्रकृके खिलाप जाकर अपनी इच्छाओं की पूर्ति करना चाहता है, उसके लिए प्राकृतिका विनाश करनेसे भी पीछे नहीं हटाता |

इन सब के उपरांत यही कह सकते है, की प्रकृति मनुष्य की मित्र है, प्रकृति और मनुष्य एक दूसरे के पूरक है| प्रकृति को इंसानकी जरुरत नहीं पर इंसान को प्रकृति की जरुरत है | इंसान के जीवन केलिए प्रकृतिका जीवित रहना बहुत महत्व पूर्ण है |

|Related : Jaha Chah Wahan Raha Essay in Hindi | जहाँ चाह वहाँ राह (Read More)

प्रकृति और मनुष्य मित्र है निबंध पर निबंध (५०० शब्द में):

हर मनुष्य का, उसके जन्म के साथ ही प्रकृति से नाता जुड़ जाता हैं| मनुष्य आजीवन प्रकृति पर निर्भर रहता हैं| क्यूंकि बहुत सारी चीजें प्रकृतिसेही लेता है | उनके हर क्रियाकलाप प्रकृति के साथ ही होते हैं, इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती|

आज मनुष्य ने समय के बदलाव के साथ-साथ, स्वयं को भी परिवर्तित किया है | उसने खुद को साधन सम्पन्न बनाने की कोशिश जरूर की हैं| एक वक्त ऐसा था जब मनुष्य और जानवर एकसमान थे| दोनोकी जीवन शैली सामना थी| लेकिन मनुष्य ने प्रकृति की सहायता से स्वयं को प्रगतशील और आधुनिक बनाया हैं| प्रकृति संसारके हर जीव के लिए एक जैसे मदद करती रहती है| पर मनुष्यने अपनी आवशक्यता नुसार, प्रकृतिका सही उपयोग किया है| मूल रूपसे प्रकृतिही मानव का पोषण करती आई हैं और आगे भी करती रहेगी |

कुदरतसे इस ग्रह पर पर्यावरण मौजूद है, जिसके कारन यह एक, सुन्दर पृथ्वी बन गई है | यहाँका हरेक तत्व, छोटे-छोटे जीव-जन्तु हो या बड़े-बड़े पहाड़, पेड़ पौधे, सबका का सामान महत्व हैं| कीड़े-मकोड़े से लेकर प्रत्येक जिव जन्तुओका अपना-अपना महत्वपूर्ण योगदान है | इन सबसे ही मिलकर प्राकृति का संतुलन बना रहता है | प्राणियों के जीवित रहने के लिए शुद्ध हवा तथा जल की जरुरत होती है | उसी प्रकार वनस्पतियों तथा जीव जन्तुओं का होना उतनाही जरुरी हैं|

.

मनुष्य ने प्रकृतिसे सब कुछ लिया है, बहोत कुछ सीखा है, लेकिन यह सीखना भूल गया | प्रकृति अपनी चीजों का उपभोग स्वयं नहीं करती है। जैसे नदी अपना जल स्वयं नहीं पीती, पेड़ अपने फल खुद नहीं खाते, फूल अपनी खुशबू खुदपर नहीं लुटाता। प्रकृति हर वक्त सभी जिओंको देती रहती है, किसी के साथ पक्षपात नहीं करती|   यह मनुष्य ही जो प्रकृति से अनावश्यक छेड़खानी करता रहता है|  इन सबका गुस्सा वह रूद्र रूप लेकर दिखती है| कभी सुनामी, कभी बाढ़, सैलाब, कहिपे तूफान तो कही पे सूखा, अकाल देकर हमें सचेत कराती है। मेरा अस्तित्व अभी मौजूद है |

मनुष्य ने अपने स्वार्थ के चलते प्रकृति का हदसे ज्यादा फायदा उठा रहा है | प्रकृति की सुंदरता को समाप्त करने पर तुला है | प्रकृतिको ही अपनी इस्छा नुसार बदलने चला है | पृथ्वी पर सभी सजीव प्राणियों का भोजन का प्राथमिक जरिया एक मात्र पेड़ और पौधे ही है | सभी को प्राथमिक स्तर पर इन्हींपे निर्भर रहना पड़ता है | सूर्य की किरणों के माध्यम से पेड़ पौधे अपना भोजन बनाते है, और इसी भोजन पर बाकि सभी शाकाहारी प्राणी निर्भर रहते हैं|

.

यह एक जीवन चक्र बन जाता है | शाकाहारी जीव पेड़ तथा पौधों पर निर्भर होते है और मांसाहारी जीव इन शाकाहारी प्राणियों पर | इसीप्रकार के जीवन चक्र से प्राकृतिक संतुलन बना रहता है | प्रकृति के संतुलन को बनाने में पेड़ पौधों की प्राथमिक भूमिका निभाते है | लेकिन इंसान अब इतना स्वार्थी प्राणी हो गया है, की ये सारी सम्पति मुफ्त में पाने के उपरांत, प्रकृति को धोका दे रहा है | प्रकृके खिलाप जाकर अपनी इच्छाओं की पूर्ति करना चाहता है, उसके लिए प्राकृतिका विनाश करनेसे भी पीछे नहीं हटाता |

इन सब के उपरांत यही कह सकते है, की प्रकृति मनुष्य की मित्र है, प्रकृति और मनुष्य एक दूसरे के पूरक है| प्रकृति को इंसानकी जरुरत नहीं पर इंसान को प्रकृति की जरुरत है | इंसान के जीवन केलिए प्रकृतिका जीवित रहना बहुत महत्व पूर्ण है |

Other Essays:

Essay on My School in English
मेरा विद्यालय पर निबंध
Essay on my favorite festival in Marathi – Ganapati
Essay on tree in Marathi
माझी शाळा निबंध मराठी
My Favourite Animal Essay In Marathi (Dog)
जर मी ढग असतो तर :
If I Became The Prime Minister -Marathi Essay

इतर लिंक्स :
➥ मराठी रंग :
➦ विशेषण व विशेषणाचे प्रकार
➥ सर्वनामाचे प्रकार
➦ Modal Auxiliary
➥ Types of Figure of speech

2 Replies to “Prakruti Aur Manushya Mitra Hai Hindi Essay | प्रकृति और मनुष्य मित्र है निबंध

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *